हम किधर जा रहे ? इस पर भी जरा सोचना व समझना होगा !
अशफाक कायमखानी। जयपुर। पूरा विश्व कोविड-19 के खोफ से खोफजदा होकर उक्त महामारी से बचाव के रास्ते तलाश करके बचाव के लिये प्रयासरत था। वही सोयब आफताब जैसे छात्र व आकांक्षा सिंह जैसी छात्रा शेक्षणिक व कोचिंग संस्थान बंद होने के बावजूद ओनलाइन नीट की तैयारी करके अपने डाऊट क्लियर करके नीट परीक्षा मे शतप्रतिशत अंक लाने मे सफल होकर स्वर्ण अक्षरो से इतिहास लिखने मे सफल हुये। लेकिन इन्हीं सबकुछ घटना घटनाक्रमों के मध्य शेखावाटी जनपद व लगते नागोर जिले के डीडवाना तहसील के अनेक गावो मे मुस्लिम युवा रात्रि कालीन खेल प्रतियोगिता आयोजित करने मे मशगूल होकर मानो अपने हिसाब के मुताबिक समाज मे बदलाव की बयार बहाने की कोशिश कृ रहे हो। खेल व खेल प्रतियोगिता आयोजित करने का कोई विरोधी नही हो सकता लेकिन कोराना काल मे जब सभी तरह के शैक्षणिक संस्थानों व छात्र-छात्राओं मे मध्य एक लम्बी खाई अचानक खींच गई थी तब युवाओं को चाहिए था कि वो अपने अपने घर या परिवार के उन स्टुडेंट्स के लिये व्यक्तिगत या गावं स्तर पर सामुहिक तौर पर कोराना गाईडलाईन के अनुसार कम से कम JEE व NEET व अन्य मुकाबलाती परीक्षा